Monday, 2 March 2020

शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर श्री डोम देवता सन्नाटा गुठाण का परम्परागत जातर नृत्य : एक विहंगम दृश्य


    देवभूमि हिमाचल के तहसील ठियोग में अवस्थित पावन स्थान गुठाण से संबद्ध देवता श्री डोम सन्नाटा जी का आज दिनांक 1 मार्च 2020 को एक बजे से 4 बजे के मध्य शिमला के रिज मैदान पर जातर नृत्य हुआ। इस सुवसर पर शिमला में दूर- दूर पधारे श्रद्धालुओं ने श्री डोम देवता जी का शुभाशीर्वाद प्राप्त किया और ऐतिहासिक व परम्परागत जातर नृत्य का आनन्द लिया।

    डोम देवता के स्वर्ण जटित प्रतिमाओं से युक्त रथ के साथ देवलुओं सहित जातर नृत्य हुआ। रथ की परिक्रमा में देवलुओं ने पारम्परिक वेशभूषा में परंपरागत चोल्टू नृत्य लोक धुन पर पारम्परिक रीति से हुआ। देश -विदेश से शिमला आए पर्यटक भी इस विहंगम दृश्य से भाव विभोर हो गए।

    श्री डोम सन्नाटा जी शिमला व सोलन जिलों की 18 ठकुराइयों और 22 रियासतों के आराध्य देवता है जो हर 20 वर्ष के बाद परम्परानुसार इन सभी स्थानों में जातर के लिए प्रस्थान करते हैं। यह जातर नृत्य उत्सव हर 20 साल बाद होता है। इस अवसर पर डोम देवता तमाम भक्तों को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

     हिमाचल में देवी-देवताओं के रीति-रिवाजों के साथ लोक कला गहरी जुड़ी है। ऊपरी शिमला में देवी-देवताओं से जुड़ा है चोल्टू नृत्य। इसमें रथनुमा पालकी में बैठाई गई देव प्रतिमाएं नचाई जाती हैं तो इसकी गोलाई में चोल्टू नृत्य होता है। एक खास तरह की पोशाक को चोल्टू कहते हैं। इसके साथ पगड़ी पहनी जाती है। इसे पहनकर देव-कारिंदे ढोल, नगाडों, करनालों और शहनाई के सुरों पर नाचते हैं। 

यह देव-नृत्य ऊपरी शिमला की कई देवठियों यानी देव मंदिरों के तहत आने वाले क्षेत्रों में होता है। इस नृत्य के बीच लोगों का भी खूब मनोरंजन होता है। नृत्य के बीच ही देव-गूरों को खेल आती है। वे भी इस नाच के बंद होने के बाद लोगों को देवता की ओर से आशीर्वाद देते हैं। इन दिनों ठियोग के डोम देवता गुठाण अपनी जातर यात्रा कर रहे हैं। इसी यात्रा के बीच इनका चोल्टू नृत्य होता है। सबसे आगे नाचने वाला व्यक्ति देवता के मंदिर का चांदी का ताला लेकर नाचता है। यह नृत्य आस्था, परंपरा और मनोरंजन का मिश्रित रूप है। इसे खास तरह की लय के साथ नाचा जाता है। लोकगीतों पर शहनाई की धुन बजाई जाती है। इसी पर नृत्य होता है। 

इस बार इस नृत्य को शिमला के रिज मैदान पर करवाने के लिए सरकार से अनुमति प्राप्त हुई। परंपरा मुताबिक यह हर बीस साल बाद रानी झांसी पार्क में नाचा जाता रहा परंतु इस दफ़ा इसे आज रविवार 1 मार्च 2020 को रिज पर प्रस्तुत कर समूचे ज़िले के अनुयायियों में एक खुशी की लहर दिला गया। इस बार इसे प्रदेश के लगभग 400 के करीब स्थानों पर किया जा रहा है। लगभग 4 वर्षों में यह जातर यात्रा पूर्ण होती है। जिला शिमला व सोलन की 18 ठकुराइयों और 22 रियासतों में लगभग 400 से अधिक स्थानों पर का दौरा पूर्ण होने के बाद डोम देवता जी अपने धाम गुठाण में वापिस पहुँचते है और एक भव्य उत्सव जिसे "भडातर" नाम से जाना जाता है, का आयोजन होता है। इस भव्य भडातर उत्सव में उन सभी ठकुराई,रियासतों व स्थानों से सभी लोग आमंत्रित होते है जहां -जहां देवता जी का जातर नृत्य हुआ है। तीन दिवसीय इस उत्सव में हजारों की संख्या में दूर-दूर से लोग गुठाण पहुँचकर उत्सव में भाग लेते है और देवता जी का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। उत्सव के समापन के बाद ही डोम देवता जी मंदिर में प्रवेश करते हैं। हर 20 साल के बाद परम्परानुसार होने वाले इस जातर उत्सव का हिस्सा बनकर हर एक व्यक्ति अपने आप को कृत-कृत्य महसूस करता हुआ देव आशीर्वाद व पुण्य का भागीदार बनकर  गौरवान्वित महसूस करता है।
     
✍️ डॉ. सुरेन्द्र शर्मा
गांव नमाणा,डाक घर घूण्ड, 
तहसील ठियोग,जिला शिमला (हि.प्र.)
संपर्क सूत्र : 98171-01092
                  94180-01092

No comments:

Post a Comment