🕉 श्रीराम नवमी की सार्थकता 🕉
रामो राजमणिः सदा विजयते रामम् रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम्
रामेः चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धरः।।
अर्थात :-
राजाओं में जो श्रेष्ठ विजय को प्राप्त करते हैं। मैं लक्ष्मीपति भगवान श्री राम जी का भजन करता हूँ सम्पूर्ण राक्षस सेना का नाश करने वाले श्री राम जी को मैं नमस्कार करता हूँ। श्री राम जी के समान अन्य कोई आश्रयदाता नहीं है। मैं उन शरणागत वत्सल का दास हूँ। मैं हमेशा श्रीराम में ही लीन रहूं। हे राम आप मेरा उद्धार करना।
''राम'' शब्द 'रा' और 'म' के संयोग से बना है, जहां 'रा' का अर्थ है :- आभा, कांति, प्रकाश, चमक, तेज, उमंग आदि। 'म' का अर्थ है :- मैं, मेरा, स्वयं का । इस तरह राम का अर्थ हुआ :- मेरे हृदय में प्रकाश, मेरे मन मे उज्ज्वलता, धवलता। वस्तुतः हर व्यक्ति अगर केवल अपने अपने मन की कलुषता को मिटाकर धवलता का सन्धान कर लें तो फिर वो दिन दूर नहीं कि हमारा देश राम राज अर्थात सुख, समृद्धि से संपन्न राष्ट्र हो जाएगा। हमारे श्रीराम ऐसे ही उद्दात चरित्र के नायक थे। वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे। आज अपनी नीति प्रियता के कारण पुरुषोत्तम से भगवान की श्रेणी में आ गए। मैं समझता हूं कि प्रत्येक के हृदय में राम और रावण दोनों बैठे हुए हैं। ज़रूरी है अपने राम को जगाने की । तो आइए आज से संकल्प ले कि हमारी प्रवृति परहित ,परकाज हेतु हो।
लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥
✡🌸🌲 आप सभी प्रबुद्ध सुधीजनों को श्री राम जन्मोत्सव के पावन पर्व रामनवमी की अनंत शुभकामनाएं । 🌲🌸✡
✍️ डॉ. सुरेन्द्र शर्मा
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