Thursday, 2 April 2020

श्री राम जन्मोत्सव पर्व : राम नवमी

          श्रीराम जन्मोत्सव पर्व : राम नवमी

श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं,
नवकंज लोचन, कंजमुख कर, कंज पद कंजारुणं
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरम,
पट पीत मानहु तडित रूचि-शुची नौमी, जनक सुतावरं,
भय प्रगट कृपाला, दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।
                   
प्रभू राम' की व्याख्या या उनका गुणगान संत शिरोमणि कबीरदास दास के अनुसार जितनी भी की जा सके वह लेशमात्र ही है, उनकी महिमा लिखी नहीं जा सकती है - 

'सब धरती कागज करूँ लिखनी  सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥'

राम शब्द का मूल और भावात्मक अर्थ है –' रमंति इति रामः ' अर्थात जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है ।
विद्वानों ने शास्त्रों के आधार पर राम के कई अर्थों​ के विश्लेषण का प्रयास किया है क्योंकि संसार में  'राम' ही मात्र एक ऐसे विषय हैं, जो योगियों की आध्यात्मिक और मानसिक भूख है और जनसाधारण के लिए परमं मंगलकारी और आनंददायी -

'आपदामपहर्तारं. दातारं. सर्वसंपदाम् l
 लोकभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ll 
भर्जनं भवबीजानामर्जनं. सुखसंपदाम् l
 तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम्. Il
 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे. I
सहस्र नामत्तुल्यं रामनाम वरानने ll'

राम का एक अर्थ है - 'रति महीधर: राम:।', 'रति' का प्रथम अक्षर 'र' है और 'महीधर' का प्रथम अथर 'म', राम। 'रति महीधर:' सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ ज्योतित सत्ता है, जिनसे सभी ज्योतित सत्ताएं ज्योति प्राप्त करती हैं।
राम' का एक अर्थ है - 'रावणस्य मरणं राम:'। 'रावण' शब्द का प्रथम अक्षर है 'रा' और 'मरणं' का प्रथम अक्षर है 'म'। रा+ म= राम यानी वह सत्ता, जिसकी शक्ति से रावण मर जाता है. इस प्रकार राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं।
 अनेकानेक संतों ने राम को निर्गुण स्वरूप अपने आराध्य रूप में प्रतिष्ठित किया है, जहां राम नाम  अत्यंत प्रभावी एवं विलक्षण दिव्य बीज मंत्र है. 
संत कबीरदास जी के अनुसार  आत्मा और राम एक हैं – 'आतम राम अवर नहिं दूजा'

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है –
राम शब्दो विश्ववचनों, मश्वापीश्वर वाचकः
अर्थात् ‘रा’ शब्द परिपूर्णता का बोधक है और ‘म’ परमेश्वर वाचक है.
 चाहे निर्गुण ब्रह्म हो या  सगुन ( दाशरथि राम) सार यह है कि राम शब्द एक' महामंत्र 'हैं 
 'भगत हेतु भगवान प्रभु राम धरेउ तनु भूप
 किए चरित्र पावन परम, प्रकृत नर अनुरूप'
               
           "  मंगल भवन अमंगल हारी,
          द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी"
                
      ऐसे शबरी के मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम , रामजानकीवल्लभ, विश्वामित्र प्रिय, त्रिलोकरक्षक, पितृभक्त, धनुर्धर, दशरथनन्दन, अयोध्या नरेश, सीतापति, रघुकुलनन्दन, अनन्तगुणगम्भीर, आदिपुरूष, महायोगी, सर्वदेवाधिदेव, राजीवलोचन, दशग्रीवशिरोहर, कौसलेय का शत शत वंदन ।
                    
✍️ डॉ. मौसम कुमार ठाकुर

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