Thursday, 30 January 2020

नौंआं साल

पिछला  छैल़  ठुआल़ीत्ता,
नौंआं  साल  बिहाल़ीत्ता।

धरत उआज्जां कड्ढा दी,
बैह्मी    भूत्त    नकाल़ीत्ता।

होणी   रोज   तरक्की   ऐ ,
फोकट  -  कीड़ू  ताल़ीत्ता।

कदर  बधी  ऐ  गुणियें  दी,
औगुणियें   जो   टाल़ीत्ता।

बोझ  घटी  जा  टैक्सां दा,
नोक्खा   दिय्या   वाल़ीत्ता।

मिलियै  अज्ज  गरीबी दा,
थोबड़   खूब   गुआल़ीत्ता।

झंडा   चुक्की   भारत   दा,
 रूप   'नवीन'   सुआरीत्ता।

✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य-कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा, हिमाचल। 

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