Wednesday, 29 January 2020

खासि आज़ादि बोलणिये

बारिश बेगि बि छ़ौण्ण कौरा 
बौआ केबि आबादि 
देशा खलाफ गौड़ौ फाड़नु
जै कैंणि आज़ादि?

बौंदै पाणि संभालणैं तैंईं
डैम बौणैं ज़ागा ज़ागा
गौड़ै का बौंदौ ज़ैहर ज़िदि
रोकणि च़ैंईं सै भाषा। 

आज़ादि घौरा लै गाल़ी दैंणिये
घौर चोढ़ियो डा 
भारै दुश्मण ईनैं कांदै गाई 
घौरै घुसियो आ।

✍️ धर्म पाल भारद्वाज

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