बारिश बेगि बि छ़ौण्ण कौरा
बौआ केबि आबादि
देशा खलाफ गौड़ौ फाड़नु
जै कैंणि आज़ादि?
बौंदै पाणि संभालणैं तैंईं
डैम बौणैं ज़ागा ज़ागा
गौड़ै का बौंदौ ज़ैहर ज़िदि
रोकणि च़ैंईं सै भाषा।
आज़ादि घौरा लै गाल़ी दैंणिये
घौर चोढ़ियो डा
भारै दुश्मण ईनैं कांदै गाई
घौरै घुसियो आ।
✍️ धर्म पाल भारद्वाज
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