Monday, 3 February 2020

मेरा प्रेम

पूछने पर एक दिन तुम्हारे 
कि--
क्या है मेरे  प्रेम की परिभाषा तुम्हारे प्रति? 

खड़ी थी मैं निरुत्तर-सी 
शब्दों को संजोती, सोच में डूबी कि--, 
प्रेम की भी कोई परिभाषा  हो सकती है ? 
क्या बांधा जा सकता है , प्रेम को भी शब्द-पाश में....? 

प्रिय, यदि कभी कर सको महसूस , तो करना 

बर्फ़ की- सी ठंड में धूप की गर्माहट
बस तो वही गर्माहट ही 
मेरा प्रेम है । 
दिन भर की थकान से जब बोझिल हो तन-मन ....उस समय पुरसुकूं नींद का आगोश ही 
मेरा प्रेम है । 
 अश्रुओ की अविरल धारा के मध्य, बस यूं ही तुम्हारे अधरों पर खींची मुस्कान की एक लकीर ही
 मेरा प्रेम है !

हृदय को बेंधते, मस्तिष्क को झकझोरते,इस जग के कटाक्षो के मध्य,देता जो तुम्हें अडिग खड़े होने का साहस, बस वही मेरा प्रेम है ।
बस इतनी-सी तुम्हें समर्पित 
मेरे प्रेम की परिभाषा

✍️ मोनिका सिंह

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