Monday, 24 February 2020

अमर, मर रहा है


ठंड का मौसम था। अम्बर घने बादलों को ओढ़े मानो बर्फ की चेतावनी दे रहा था। स्कूल की वर्दी पहने अखबार बेचता हुआ वो लड़का पींठ पर एक और थैला लादे हुए था , मैंने भी पूछ लिया पींठ पर क्या उठाए हो दोस्त। 

उसने कहा,साहब इसमें पुस्तक है। 

मैंने पूछा पढ़ाई करते हो तो ये अखबार क्यों बेचते हो? 

बालक का उत्तर था कि अगर मैं अखबार पढ़ूंगा तभी वो अपनी किताब पढ़ सकता है। मैं समझ गया कि बात क्या है, मैंने उसका नाम पूछा । नाम था अमर लेकिन वक्त को उसका नाम पसंद नहीं था। अमर प्रतिदिन ठंड में मर रहा था। 

✍️ राजेश सारस्वत

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