Saturday, 1 February 2020

मन

छल कपाट अज्ञान अंतर से दूर कर
फिर मन मन्दिर में ईश्वर आ जायेगा

परहित में तन मन धन तेरा लगा ले
फिर दुआ का खजाना मिल जाएगा

साथ लेकर क्या आये थे तुम साथ 
फिर क्या  क्या साथ तू ले जाएगा

मन के कपाट खोल देख ले आईना
तेरे मन का ये अंधकार मिट जाएगा

निर्मल मन में श्री हरि का वास होता
फिर समृद्धि का दीप जल जाएगा

✍️ डॉ. कवि राजेश पुरोहित
भवानीमंडी

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