घट -घट बसता राम कहां है,
सुखमय जीवन धाम कहां है?
मानवता के सुंदर वन में,
पल-छिन का आराम कहां है?
सुबह सवेरे भजता रहता,
इससे अच्छा काम कहां है?
तप करना तो भूल गया है,
ढूंढ रहा अब नाम कहां है?
भारत माता पूछ रही है,
प्रेम-सुधा का आम कहां है?
खूब "नवीन"टटोलें मन को,
शुद्ध हवा का दाम कहां है?
✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।
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