Friday, 27 March 2020

आदमी का साया

कोयलें अब कहां कूकती है इस दश्त में।
है वक्त की किस शाख पर ये ठहरा दिन?

ऐसे भी होते हैं एक सिक्के के दो पहलू।
आदमी का रात साया है और चेहरा दिन।

✍️ सतीश कुमार

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