सुहाना सफर
जिंदगी के गुजरे जो हरपल वो है सुहाना।
लखनपुर का वो टिक्की बडे़ भी है सुहाना।।
गुजरे बटोत से डोडा़ प्रेमनगर का सफर सुहाना।
किस्तबाड़ में भोर का मंदिर मस्जिद का गान सुहाना।।
गुलाबगढ़ से पहले हर जगह चैक पोस्ट सुहाना.
सोहल से पैदल मार्च वो तयारी का खाना सुहाना।।
रात्रि विश्राम में उन जनों का खाना खिलाना सुहाना।
तयारी संसारीनाला के रास्ते वो पगडंडी का सफर सुहाना।।
जिंदगी के फलसफे के लिए पांगी पहुँचना था सुहाना।
हर तरफ से चलते आदिम जगह पंहुचना था सुहाना।।
✍️ हीरा सिंह कौशल
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