Sunday, 19 January 2020

ग़ज़ल

मेरे श्याम तुम फिर से आओ।
वही इश्क़ की  धुन  सुनाओ।
***
किसी के न कहने में आओ।
हक़ीक़त से पर्दा उठाओ।
***
जो जोड़े दिलों को दिलों से।
तराने   वही  गुनगुनाओ।
***
नहीं काम कोई भी मुश्किल।
मगर  हाथ तो आजमाओ।
***
चले और गिर ही न पाए।
मुझे नाम इक तो बताओ।
***
हक़ीक़त बताओ हक़ीक़त।
हमें दास्ताँ  मत  सुनाओ।

✍️ कुलदीप गर्ग तरुण

No comments:

Post a Comment