मेरे श्याम तुम फिर से आओ।
वही इश्क़ की धुन सुनाओ।
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किसी के न कहने में आओ।
हक़ीक़त से पर्दा उठाओ।
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जो जोड़े दिलों को दिलों से।
तराने वही गुनगुनाओ।
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नहीं काम कोई भी मुश्किल।
मगर हाथ तो आजमाओ।
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चले और गिर ही न पाए।
मुझे नाम इक तो बताओ।
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हक़ीक़त बताओ हक़ीक़त।
हमें दास्ताँ मत सुनाओ।
✍️ कुलदीप गर्ग तरुण
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