Friday, 14 February 2020

स्हाड़ा हिस्सा पक्का जी

कुसजो पुज्जा धक्का जी,
कुण कुसदा ऐ सक्का जी?

गल्ला  परती  खाणे  जो,
मारा  करदे  छक्का  जी।

कम्म  कमाणा  छोड़ीत्ता,
नीं  तोड़ा  दे  डक्का  जी।

देस्से जो कुण पुच्छा दा,
मछरै चोर - उचक्का जी?

भाई - चारा  बोल्ला  दा,
स्हाड़ा हिस्सा पक्का जी।

वगत   'नवीन'   टपाईत्ता,
करियै अक्ख मटक्का जी।
         
✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।

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