निरुत्साहित नहीं, निष्फल हूँ,
आज न सही, लेकिन कल हूँ।
निश्चिंत, निश्चल और अडिग हूँ,
निष्काम कर्म की पहचान हूँ।
वजूद ऐसा मरते दम जारी हूँ,
भाग्य की रेखा पर भी भारी हूँ।
हौंसले की उड़ान से चलता हूँ,
हवाओं के लिए अजब बीमारी हूँ।।
✍️ हितेन्द्र शर्मा
किंगल, कुमारसैन, शिमला, हि.प्र.
Email - hmskingal@gmail.com
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