Monday, 17 February 2020

नाम-मिलन

अंबर भी  खादान नहीं है,
धरती तो  नादान नहीं है।

जान गई है  सारी दुनिया,
दिल अपना दूकान नहीं है।

जीवन पर अधिकार करेगा,
मालिक क्या भगवान नहीं है?

किसने झूठ सुझाया तुझको,
समय भला बलवान नहीं है?

मन का मोल चुकाना कैसे,
प्रेम बिना धनवान नहीं है?

राम 'नवीन' मिलेगी मंजिल,
नाम-मिलन आसान नहीं है।
                
✍️ नवीन हलदूणवी

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