Monday, 17 February 2020

महर्षि मार्कन्डेय

हमने कई ऋषियों और महर्षियों के बारे में सुना है तथा उनके जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है ! उन लोगों ने जीवन में इतना संघर्ष किया होता है कि वो एक महान व्यक्तित्व बन जाते हैं ! ऐसे ही एक महर्षि थे मार्कन्डेय ऋषि ! ऐसा माना जाता है कि मार्कन्डेय ऋषि केवल बारह वर्ष कि आयु लेकर आए थे लेकिन अपनी भक्ति और तपस्या के बल पर वह चिरंजीवी हो गए ! ऐसा माना जाता है की ब्यासपुर(अब बिलासपुर)की तपोस्थली पर दो महान हस्तियों ने जन्म लिया था जिनमे से एक महर्षि वेद ब्यास व दूसरे महर्षि मार्कन्डेय हैं ! बिलासपुर से लगभग 18 किलोमीटर दूर शिमला धर्मशाला वाया जुखाला राष्ट्रीय राज मार्ग पर जुखाला से लगभग तीन किलोमीटर अंदर की ओर मार्कन्ड नामक स्थान को महर्षि मार्कन्डेय का जन्म स्थान माना जाता है ! मार्कन्डेय ऋषि के जन्म के कारण ही पहाड़ी की तलहटी में स्थित इस रमणीक स्थल का नाम मार्कन्डेय पड़ा जिसे आजकल मार्कण्ड भी कहा जाता है ! ऐसा माना जाता है कि मृगश्रंग नाम के एक ब्रहंचारी यहाँ रहते थे ! उनका विवाह सुवृता से हुआ था ! उनके घर में एक पुत्र पैदा हुआ जो हमेशा अपना शरीर खुजलाता रेहता था  इसलिए मृगश्रंग ने उसका नाम मृकंडु रख दिया ! वह बहुत गुणी था तथा समस्त श्रेष्ठ गुण उसमें विद्यामान थे ! पिता के पास रहकर उसने वेदों का अध्ययन किया ! उसकी विवाह मृदगुल मुनि की कन्या मरुद्वती से हुआ ! मृकंडु जी का वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था लेकिन उनके घर कोई संतान नहीं थी ! इन दोनों ने कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया ! भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुये तथा वरदान मांगने के लिए कहा ! मुनि मृकंडु ने कहा कि यदि आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो मुझे संतान के रूप में एक पुत्र प्रदान करें ! भगवान शंकर ने तब  मुनि से कहा कि हे मुनि आपके भाग्य में संतान नहीं है लेकिन क्यूंकी आपने मेरी तपस्या की है और में प्रसन्न हूँ इसलिए में आपकी इच्छा पूरी करूंगा ! आपको पुत्र प्राप्ति का बरदान देता हूँ ! आपका यह पुत्र बहुत गुणवान होगा तथा मेरा ही अंश होगा लेकिन यह केवल बारह वर्ष तक जीएगा ! भगवान शिव ने उनको पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए ! समय आने पर मृकंडु के घर एक पुत्र ने जन्म लिया  जो बाद  में मार्कन्डेय ऋषि के नाम से प्रशीध हुये ! मृकंडु ने उन्हें हर प्रकार की शिक्षा दी !माता पिता के साथ रहते ग्यारह वर्ष बीत गए बाहरवां वर्ष आते ही माता पिता उदास रहने लगे ! पुत्र ने कई बार उदासी का कारण जानने का प्रयास किया ! एक दिन जब उन्होने बहुत जिद की तो मृकंडु ने उन्हें बताया की भगवान शंकर ने तुम्हें मात्र बारह वर्ष की आयु दी है और यह पूर्ण होने वाली है !यह सब सुन कर उन्होने कहा की आप चिंता ना करें मैं गुरु वेद ब्यास जी के मार्गदर्शन में ब्यास गुफा के पास शतद्रु(सतलुज) के किनारे महाकाल की आराधना करूंगा ! इसके बाद वह पत्थर पर बने शिवलिंग के सामने तपस्या में लीन हो गए ! उन्होने भगवान शंकर को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया तथा भगवान शिव ने उन्हें चिरंजीवी होने व चिरयुवा होने का वरदान दिया ! ऐसा माना जाता है कि आज भी महर्षि मार्कन्डेय ब्यास गुफा के भीतर ध्यान में हैं ! भक्तों के दुख निवारण के लिए वह आज सम्पूर्ण ब्रह्मांड में विचरण करते हैं ! उन्हीं के ऊपर महर्षि वेद ब्यास ने मार्कन्डेय पुराण की रचना की थी ! मार्कन्डेय पुराण का स्थान अठारह पुरानों में कहीं दूसरा,कहीं सातवाँ तथा कहीं बारहवाँ है ! इसका पौराणिक साहित्य में विशेष महत्व है ! इस तीर्थ स्थल पर बारह महीने पानी निकलता है जिससे निचली ओर के गावों की ज़मीनों की सिंचाई  भी की जाती है ! पहले यहाँ पर पुराना मंदिर था तथा यात्रियों के लिए भी कोई खास व्यवस्था नहीं थी लेकिन कुछ समय पहले एशियन विकास बैंक के सहयोग से हिमाचल पर्यटन विभाग द्वारा इस धार्मिक स्थल का जीर्णोद्धार किया गया है ! इस मंदिर के कायाकल्प पर दस करोड़ रुपए खर्च किया जा रहे हैं !जो नया भवन बनाया गया है उसमें एक प्रबचन हाल बनाया जा रहा है जिसमें लगभग एक हज़ार लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी ! इसके साथ गाड़ियों के लिए पार्किंग की व्यवस्था की गई है जिसमें 70 गाडियाँ खड़ी हो सकती हैं ! लंगर भवन,रसोई घर ,दो छोटे हाल,छ: कमरे जिनके साथ अटेच्ड बाथ रूम,एक वी वी आई पी कमरा जिसके साथ किचन,बाथ रूम अटेच है बनाए गए हैं ! दुर्गा माता,राधा कृशन व शिवजी के मंदिरों में एकादश रुद्र व द्वादश ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया गया है !पुरानी सराय के 20 कमरों का भी जीर्णोद्धार किया गया है ! इन सब के ऊपर नई छतें डाली गई हैं ! बच्चों के लिए एक छोटा पार्क भी बनाया गया है ! पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए फब्बारे भी लगाए गए हैं ! बैशाखी मेले में कुश्ती के लिए अलग से स्टेडियम का निर्माण किया गया है ! नए बनाए गए भवन में 15 दुकानों बनाई गई हैं जिनको किराए पर दिया गया है ! विवाह शादियों में धाम बनाने के लिए पक्की “चर” की व्यवस्था की गई है जिसमें फायर ब्रीक्स लगाई गई हैं ! 
इस मंदिर में आम दिनों में लगभग एक सौ श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं ! पुर्णिमा,शनिबार, रविवार, सक्रांति, ग्रहण व त्योहारों पर ज़्यादा लोग आते हैं ! यहाँ हर वर्ष 12 से 15 अप्रैल तक बैसाखी पर मेला लगता है ! ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से लोगों को चर्म रोगों व बच्चों के रोगों से मुक्ति मिलती है ! मेले में कुश्तियों का आयोजन होता है जिसमें पूरे भारत वर्ष के नामी गिरामी पहलवान भाग लेते हैं ! ज्येष्ठ तीर्थ होने के कारण चार धाम यात्रा के बाद मार्कन्डेय तीर्थ में स्नान आवश्यक माना गया है ! यहाँ पर महिलाओं व पुरुषों के लिए अलग अलग स्नानागार की व्यवस्था की गई है ! स्नानागार में महिलाओं के लिए अंदर ही कपड़े बदलने की व्यवस्था है ! पित्र पैसाची पर यहाँ बहुत लोग दर्शन करते हैं ! यहाँ साफ सफाई की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर ही की जाती है !सरकार द्वारा ट्रस्ट की स्थापना की गई है लेकिन अभी तक पूरी तरह से काम नहीं कर रही है ! लगभग 40 विद्युत व सोलर लाइटें लगाई गई हैं जिनका बिल विभाग अदा करता है ! मंदिर का पूरा प्रांगण टाइलें लगा कर पक्का कर दिया गया है ! हालांकि इस मंदिर के जीर्णोद्वार पर 10 करोड़ खर्च किए गए हैं लेकिन जो असली पुराना मंदिर है उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है ! दीवारों से प्लास्टर झाड़ रहा है तथा उसमें बारिश होने पर पानी अंदर आ जाता है जिससे श्रद्धालुओं को खड़ा होने में परेशानी होती है ! पूरे मंदिर परिसर का कायाकल्प कर दिया गया है लेकिन पुराने मंदिर की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया है । मेलों के दौरान यहाँ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की व्यवस्था होती है ! मार्कन्डेय से शिमला व बिलासपुर के लिए एक सरकारी बस चलती है ! यहाँ श्रद्धालुओं के लिए ठहरने व खाने की निशुल्क व्यवस्था की जाती है ! मंदिर के पीछे पहाड़ी पर एक गुफा है जिसे ब्य्यस गुफा के नाम से जाना जाता है ! इसे अब बंद कर दिया गया है ! बताया जाता है कि इसी गुफा के रास्ते से ऋषि मार्कन्डेय के गुरु वेद ब्यास जी प्रतिदिन मार्कण्ड में स्नान करने आते थे ! जब भी मार्कन्डेय को किसी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती थी तब वेद ब्यास जी तुरंत इसी मार्ग से यहाँ आते थे ! इस गुफा के अंदर आज तक कोई नहीं जा सका है केवल किवदंतियाँ ही हैं जो प्रचलित हैं ! यहाँ पहुँचने के लिए बिलासपुर जिला मुख्यालय से जुखाला तक सीधी बस सेवा व उसके आगे टैक्सी से जा सकते हैं तथा टैक्सी से जाने वाले सीधा मार्कण्ड मंदिर तक टैक्सी से जा सकते हैं !

✍️ रविन्दर कुमार शर्मा

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