Tuesday, 11 February 2020

छैल़ छन्द तुहाड़े जी

घाड़ू   घड़दे   घाड़े   जी,
कुस-कुसदे दिन माड़े जी?

सांभो अपणीं फसला जो,
अग्ग  लगी  ऐ  बाड़े  जी।

किस्से   तोत्ते - मैंन्नां   दे,
कुण पढ़दा ऐ प्हाड़े जी?

भारत दी हुण जनता नैं,
सिंग  कुसी  दे  राड़े  जी?

लाड़े   बणियैं   फिरदे  हे,
ब्हौत्ते अज्ज  पछाड़े जी।

लोक "नवीना" बोल्ला  दे,
छैल़   छन्द   तुहाड़े   जी।

✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।

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