Friday, 28 February 2020

मेरा सपना

कविता एक बहाना है ,
सुच्चा ठौर-ठिकाना है ।

अपनी प्यारी धरती को ,
फिर से स्वर्ग बनाना है ।

देश बड़ा है हम सबसे,
लोगों को समझाना है ।

केसर-क्यारी सूख रही,
उसको आज बचाना है ।

पत्थरबाज उछलते हैं,
उनको राह दिखाना है।

भारत माता  बोल  रही ,
खोया  है  सो  पाना  है ।

'नवीन' कुचले लोगों को,
मिलकर गले लगाना  है ।

 ✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।

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