Friday, 7 February 2020

पुराणे दिन याद आई गे

पुराणे दिन याद आई गे 
इतवारे वाले दिन देखनी रंगोली कने शक्तिमान, 
लूखने री खेला खेलनी कने रेडियो पर सुनने गाने।

पुराणे दिन याद आई गे
रोज पैदल स्कूला जाना कने मास्टरा ते खानी मार, गर्मियां च खड्डा नहाना कने बनना बड्डे तैराक।

पुराणे दिन याद आई गे 
स्याणेयाँ ले बैठी ने सुननी कहानियाँ, 
इक था राजा कने इक थी रानी दोनों मरी गे खत्म कहानी।

स्कूला जाना ताँ रपईये लेने दो, 
कने इक रपईये री खानी टॉफियाँ चार, 
पुराणे दिना री आई गी याद।

✍️ सुनील शर्मा
घुमारवीं, बिलासपुर

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