Sunday, 23 February 2020

निर्भया तेरे हत्यारे

निर्भया तेरे हत्यारे 
आज भी सरेआम घूम रहे ।
सात वर्षों से दफ़न तेरी रूह का मजाक उड़ा रहे ।।
फांसी , उम्रकैद , के इंतजाम हो रहे 
जा जाकर वापिस लौट आ रहे ।।

एक बात पूछना उस वकील से जाके 
खुदा ना खास्ता ,
अगर उसकी लाडली से ऐसा हुआ होता ,
तब भी वो ऐसे ही बचाता उसे ।।
सारी इंसायनित तो इन्होंने बेच कर खा ली थी ,
शर्म कर तू इनके लिए क्यों न्यालयों में गुहार है ला रहा ।।

वो 16 दिसंबर की कैसी रात थी 
सुनसान पड़ी सड़क पर आज भी गवाही देती है वो बस 
निर्भया के चीखों की ।।
दोस्तो जूठी लगे बात जाके देखना कभी वहां 
जहा दरिंदो ने दरिंदगी की सारी हदें पार की थी ।।
क्या मुंह लिए बैठा था वो वकील 
की जो उनकी गवाही पर गवाही की दलीलें दे रहा ।।

बनने तो आयी थी डॉक्टर वो 
चूर-२ कर सपने उनके मां बाप का घर तोड़ दिया ।।
रो रो कर गुहार लाती उसकी मां बेचारी 
तो बाप बेचारा कोणा देख रो रहा है ।।

हैवानियत को शर्मसार किया था 
फिर भी वक़्त क्यों लग रहा इनकी मौत मुक्रार्र करने में 
बकायदा कुछ तो लंबे अधसे से गोल हुआ चल रहा था ।
या तो उनकी सिफारिशें ज्यादा तवज्जो दे रही है 
या  7 वरशो से दफन उसकी रूह  ।।
उम्र के जिस पड़ाव में वो सपने पूरे कर रही थी 
उस सपने को ठोकर मार सपने सारे चकनाचूर कर दिए 
फिर भी इनकी दलीलें ज्यादा तवजजो दे रही अवतार ।।

✍️ Avtar Koundal
Bilaspur H.P.

1 comment: