Monday, 10 February 2020

अज्ज भले दा

लोक  ल्हघेरन  गूट्ठा  जी,
काल्हू भजणा ठूट्ठा जी?

मुल्ल  कुथू  ऐ  गप्पां  दा,
बक-बक करदा झूट्ठा जी?

हौल़ैं  -  हौल़ैं   जाणा   दा,
कुण निगल़ा दा जूट्ठा जी?

देस्से  जो  कुण  लुट्टा  दा,
पाठ   पढ़ाई   पूट्ठा   जी?

भुच्चर रोज गला$ करदा,
भारत - वासी  रूट्ठा  जी।

नित्त 'नवीन' झुलाई जा,
अज्ज भले दा मूट्ठा जी।
      
✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश।

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