Tuesday, 24 March 2020

किंह्यां माह्णू ब्हाद्दर जी


मारीत्ते   चमगाद्दड़   जी,
किंह्यां माह्णू ब्हाद्दर जी?

ऊल़ू - भिरल़ां चीक्का दे,
गीत  भुली  गे  दाद्दर  जी।

गिद्दड़ - फौ़ई फैह्की जा,
कुण दिंदा ऐ  आद्दर जी?

कुत्ते अणमुक भौंक्का दे,
दिक्खी  चिट्टी  चाद्दर  जी।

रौल़ा - रप्पा   पा   करदे,
इत्थू  लोक्को  नाद्दर  जी।

छुट्ट   'नवीन'   भलाई   दे,
तोप्पै  दुनियां   साद्दर  जी।

         ✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश।

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