बुरे वक्त में जीना हमें है सिखाया कोरोना ने।
मास्क पहन कर बात करो हाथ नही मिलाना,
दूर से अभिनंदन करना है बताया कोरोना ने।
कई बार पड़ोसी अपनें से होती तकरार रही,
है,पड़ोसी रह रह कर याद कराया कोरोना ने।
हाथ मुंह धोनें की किस को फुर्सत होती थी,
बार बार सावुन मल हाथ धुलाया कोरोना ने।
किसनें खाया कब खाया पता नहीं चलता था,
सभी को मिल बैठ खाना खिलाया कोरोना ने।
अकेली नारी क्या करे है रसोई पीछा न छोड़े,
अब सभीसे देखो तड़का लगवाया कोरोना ने।
अपनीऔकात में रह बंदे कोई छोटा बड़ा नहीं,
एक इंसानी जात तेरी है बतलाया कोरोना ने।
इंसान को अपनी हैसियत का है पता चल गया,
कैसे सभी को है ऊँगली पर नचाया कोरोना ने।
उस के घर देर नहीं कब कहाँ क्या हो जाएगा,
देख हाहाकार है बंदे कैसा मचाया कोरोना ने।
✍️ शिव सन्याल
राम निवास मकड़ाहन
तह.ज्वाली कांगड़ा हि.प्र.
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