Wednesday, 22 April 2020

ख्वाब़


मरमरी सी उदास मन वाली हुई थी बेजान जिंदगी। 
चांद से मुखड़े मृगनयनी आंखों ने भरी रवानगी।

हृदय पटल कोने में छुपी मनमोहक तस्वीर ने दी जिंदगी। 
साधना कट बालों का घायल होती मासूम भोली जिंदगी।। 

शरमा के जमीं का वो कुरेदना बदलता फलसफा जिंदगी।
ख्वाब़ बुनते ताना बाना घर बसाने की चाह में जिंदगी।। 

नन्हें नन्हें फरिश्तों के आगमन  मन में उल्लास है जिंदगी।
यूं ही ख्वाबों के सफर में सुकुन से गुजरते जाये जिंदगी।। 

ख्वाबों का आइना ना टूटे यही बना रहे हकीकते जिंदगी।
ताउम्र साथ बना रहे ख्वाबों में भी ना रुठे सुनहरी जिंदगी।।

✍️ हीरा सिंह कौशल 

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