Thursday, 23 April 2020

नवीन हलदूणवी की कलम से

दो  नंबर  जो  असर  कुथू

दो  नंबर  जो  असर  कुथू,
निकल़ा करदी कसर कुथू?

सैल्ले    रुक्ख    बढाईत्ते,
नौंईं   कुंबल़   टसर  कुथू?

सच्चे - सुच्चे  भगतां  दा,
कलयुग अंदर वसर कुथू?

शैताने   जो   भोग   मिलै,
सिद्धे  जो हुण  मसर कुथू?

कवियां  गीत  कवित्त  घड़े,
छैल़  छबीली  नसर  कुथू?

छंद  दिली  छड्ड  "नवीना",
असर कुथी हो पसर कुथू?

                ***

सुक्के बंजर अब्बल जी

बद्दल़ करदा खज्जल़ जी,
सुक्के  बंजर  अब्बल जी।

पौंदी   मार   कसान्ने   जो,
टुट्टा   करदी  झब्बल़  जी।

भो$  बी  काल़ा  पेई  जा,
पल्लै किछ नीं डब्बल़ जी।

धूड़  सिरैं  बी  पौआ  दी,
मौज़ां  लैंदे  चब्बल़  जी।

डंग्गर  तड़फन  भुक्खा  नैं,
मुल्लैं  थ्होंदा  खब्बल़  जी।

धुप्पा  पौन  "नवीने"  जो,
पिट्ठी फालक-सब्बल़ जी।

             ***

लग्गी मौज़ भरूरां जो
       
फाक्के तां मज़दूरां जो,
सब्बो तोप्पण हूरां जो।

लकड़ी खूब कटोआ दी,
रोक  कुथू  ऐ  सूरां  जो?

घर-घर  खौद्दल़  पेई  ऐ,
गाल़ - मुआल़ी नूरां जो।

नित्त  नसेड़ी  नच्चा  दे,
कस्सण  पुट्ठे  टूरां  जो।

भलमणसाई सोच्चा दी,
रोआ  करदी  झूरां  जो।

इत्थू  झंड्ड  "नवीने"  दी,
लग्गी  मौज़  भरूरां  जो।

            ***

   ✍️ नवीन हलदूणवी
मोबाइल - 8219484701
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।

No comments:

Post a Comment