Thursday, 23 April 2020

लोक घुल़ाई ते

लगा जिस दा ज़ोर,सिक्का चमकाई गे।
तु सुत्ती रेई निंदरा , कन्रे चोर दा लाईगे।
पक्काई कन्ने रोटियाँ अन्दर जे गेई सैह्,
पिण्डे  दे  कुत्ते आई, रोटियाँ    खाईगे।
जिन्हाँ पर कित्ता तू विसवास मेरे मित्रा,
पैरां हत्थ लाई करी, गल्ल़े तक आईगे।
जिन्हां ताँई खाणें कि पत्तल़ाँ बिछांईयाँ,
बदोबदी पैंठी बैई, पक्खले ही खाई गे।
हत्थां जोड़ी मिसणा, था घर घर मंगदा,
सुंडू दी जे गठ्ठ मिली, अपणें भुलाई ते।
अग्ग  भड़काई  दित्ती, दंगे  करवाई ने,
नफरता दे खूब तीखे , तीर  चलाई  ते।
शिव भाईचारा किञ्याँ  करी  टिकणा,
थाँई थाँई धर्मा च, लोक  जे  घुल़ाई ते।
               
             ✍️  शिव सन्याल
           राम निवास मकड़ाहन
         तह.ज्वाली, कांग्रेस, हि.प्र

No comments:

Post a Comment