25 जनवरी, सोमवार, सन् 1971 हिमाचल के इतिहास में महत्वपूर्ण जिस दिन बर्फ की सफेद चादर ओढ़े रिज मैदान ऐसे में शिमला के अनाडेल से रिज मैदान तक पहुँची थी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का ऐलान किया गया। इस प्रकार हिमाचल को उस दिन पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और हिमाचल को एक अलग पहचान मिली।
कड़कती ठंड होने के बावजूद भी रिज मैदान पर लोगों का खूब जमावड़ा लगा। कहते हैं कि जैसे ही मंच से घोषणा की गई, उसके बाद लोगों में खुशी की लहर दौड़ी और खूब नाटियां लगी और हिमाचल निर्माता डा.यशवंत सिंह परमार भी लोगों के साथ झूमे।
राष्ट्र की बात अगर करें तो इस दिन अर्थात 25 जनवरी को ही सन् 1950 में “भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना हुई थी यही कारण है कि वर्ष 2011 में 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस घोषित किया गया तत्पश्चात देश में हर वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। हमारे देश में प्रत्येक नागरिक को व्यस्क होने अर्थात 18 वर्ष का होने पर मताधिकार प्राप्त हो जाता है। वह अपने मत का प्रयोग करके अपने उम्मीदवार का चयन कर सकता है।
लेकिन विश्व में भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर लोगों का रूझान कम हो रहा है, जिसे देखकर राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाने लगा। इसका एक मात्र उद्देश्य मतदाताओं की संख्या में वृद्धि करना, युवा मतदाताओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार सुनिश्चित करना है। देश भर के सभी मतदानकेंद्र वाले क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष उन सभी पात्र मतदाताओं की पहचान की जाती है जो एक जनवरी को 18 वर्ष के हो चूके होंगे। निर्वाचन आयोग का लक्ष्य है कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज किए जाएंगे और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंपे जाएंगे।
समाजिक, शैक्षणिक और गैर राजनीतिक व्यक्ति ही पहचान पत्र बांटने का कार्य करेंगे। साथ ही साथ इस मौके पर मतदाताओं को एक बैज भी दिया जाएगा जिसमें ‘लोगो' के साथ नारा अंकित होगा “मतदाता’ बनने का गर्व है मतदान को तैयार है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस का शुभारंभ 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा वर्ष 1950 से स्थापित चुनाव आयोग के 61वें स्थापना दिवस पर किया गया था। इस आयोजन के दो प्रमुख विषय थे-‘समावेशी और गुणात्मक भागीदारी तथा 'कोई मतदाता पीछे न छूटे’।
सरकार द्वारा चलाई गई इस मुहिम को राष्ट्रीय स्तर पर सफल बनाने के लिए हम सभी को योगदान देना चाहिए और ऐसे लोगों को जागरूक करना चाहिए जो अपने मत की कीमत को नहीं समझते और उसका प्रयोग भी नहीं करते क्यों कि उनकी धारणा रहती है कि एक मतदान न होने से क्या फर्क पड़ता है, यह सोच लोकतंत्र के लिए सही नहीं एक मत भी कई बार मील का पत्थर साबित होता है सही उम्मीदवार के चयन के लिए। अत: प्रत्येक नागरिक को बढ़-चढ़ कर मतदान में शामिल होकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाहिए।
✍️ कल्पना गांगटा
ढली, शिमला, हि.प्र.
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