Saturday, 25 January 2020

ऐणु तौ हिमाच़लो ज़िउंणु

खेचा दि बौंणुं, काटणु, मांडणु 
घौरू कौरा तै आपी
कानि दि कुटणु, ऊखड़ै धुसणु 
लागि रौआ ती भाभी।

कुटियो चुंगणु, शुपिए पुंणनु
सौभी खौटा तै साथी 
मेटणु, छ़ांटणु लागि रौआ तौ 
मोटौ खाणु तौ काफी। 

हांडकौ च़ुलिए, झ़ुकड़ी पिंगुरी 
बौणि कौरा ति लाफी
माखिए तीरा का मौ गाडा तै ,
घिऊ खाई तै साथी। 

घुशणुं माशणुं तिथ् थैरै दि 
शबातरे भेज़णि बासि 
धैड़ै खेचा दि लामण लांणैं 
ठामरू लागा तौ राच़ि। 

कौथै लाम्बी ती, राच़ भैया ति 
नैंईं डा तै बाकी 
बेशी रौई तै ड़ौढ़की खाइयो 
च़ुपी च़ुलिए पाछ़ी।

कुर्तौ, सूतण, स्लूकौ लाई तै
आपणी भेड़ो काति 
छेवड़ी पाख्टी, धाटू ला ती
मौर्दै टोपि, लाठि। 

ख़ैरच़ै गाई पाहुंणैं बेशा तै 
खाल्टू गाई आपै
हुकै पींदा ज़ेबि छ़ेड़ै सै सैंणैं 
नाड़ी का लागै पटाकै। 

बैड़ि छ़ोटू कौठै हौआ तै 
भ़ौरि रौआ ति ताटि 
रीठै, छ़ारा का ज़ुड़कै धोआ तै 
कि साबणे बाटि। 

भेड़ै बाकरी डौगै च़ारा तै 
हुंदी द्रुमणे बाथी 
खेच् खौणां तै कौष्टै झ़ाबलै 
कौशि हौआ ति गाच़ि।

घिऊ बिणा ता खांदै नैंईं तै 
छ़ा गोल्टू बासी
ख़ाणौं पीणौं ऐबै बौदलि गौ
याद आ केबि लाफी। 

✍️ धर्म पाल भारद्वाज 

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