मशाल जलाई।
किसी नें रोशनी की
किसी नें आग लगाई।
अपनी-अपनी फिदरत है
कौन, क्या करे भाई?
कुछ करके दिखाना है।
न समझना, न समझाना है
तोते को, जो सिखाया, रट लगाई
कौन, क्या करे भाई?
मशाल तले अंधेरा है।
नीचे जो खड़ा है, टेढ़ा है
जो दिखता नहीं है सामने
भीड़ उसी की है, उक्साई
कौन, क्या करे भाई?
✍️ धर्म पाल भारद्वाज
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