Friday, 31 January 2020

दो पुष्प

वसंत आगमन पर 
कुसुम पल्लवित पुष्प खिले 
पावन दिन में 
धरा पर दो पुष्प खिले 

वो पुष्प सुवासित 
ज्ञान सुगंधित महके
एक नभ का प्रकाश जयशंकर 
तो दूजा धरा का मान निराला हुए

अनामिका, परिमल, गीतिका और  अणिमा 
निरालाजी की अविरल रचना हुई 
कानन कुसुम, झरना, आंसू और कामायनी 
जयशंकरजी ने अवर्णिय धाराएँ बहाई

✍️ किशोर कुमार कर्ण 
पटना, बिहार। 

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