तेरे मेरे बीच जो है,
छिपा कर रखा है।
अब की बार अपने इश्क़ को,
सब से बचा कर रखा है।
तेरी हर याद को सम्भाल कर रख दिया
संदूक में,
बिन इजाज़त ना खोले कोई,
ये बता कर रखा है।
तेरे आने पर तुझको, मेरा गले लगाना,
वाजिद है,
ना देना कोई ताना,
ये समझा कर रखा है।
तेरा ज़िक्र जब होगा, मेरे जज़्बात बन जाएँगे
शायरी,
वाह वाह से महफ़िल को
सजा कर रखा है।
यूँही कोई ना तुझे बना ले अपना,
मेरा जो तुझ पर हक़ है,
जता कर रखा है।
तेरे मेरे बीच जो है,
छिपा कर रखा है।
अब की बार अपने इश्क़ को
बचा कर रखा है ।
✍ सिलकिना मनकोटिया
जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश
No comments:
Post a Comment