डैम्मैं लोक जुआड़ीत्ते,
म्हातड़ गड्डी चाढ़ीत्ते।
ढेरमढेरी चाल्ला दे,
सिंग बणौट्टी राड़ीत्ते।
जाल़ बछाए सड़कां नैं,
नियम-नकेल्लां झाड़ीत्ते।
वेगुरपीरी बोल्लां नैं,
स्हाड़े पित्ते साड़ीत्ते।
रोज नसेड़ी लुट्टा दे,
सच्चे वरके फाड़ीत्ते।
निन्द 'नवीन' डुआईत्ती,
आई भित्त गुहाड़ीत्ते।
✍️ नवीन हलदूणवी
काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।
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