Sunday, 16 February 2020

डैम्मैं लोक जुआड़ीत्ते

डैम्मैं लोक जुआड़ीत्ते,
म्हातड़  गड्डी  चाढ़ीत्ते।

ढेरमढेरी   चाल्ला   दे,
सिंग  बणौट्टी  राड़ीत्ते।

जाल़ बछाए सड़कां नैं,
नियम-नकेल्लां झाड़ीत्ते।

वेगुरपीरी  बोल्लां  नैं,
स्हाड़े  पित्ते  साड़ीत्ते।

रोज  नसेड़ी  लुट्टा  दे,
सच्चे  वरके  फाड़ीत्ते।

निन्द 'नवीन' डुआईत्ती,
आई   भित्त   गुहाड़ीत्ते।
          
✍️ नवीन हलदूणवी

काव्य - कुंज जसूर-176201,
जिला कांगड़ा ,हिमाचल प्रदेश।

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