नहीं सोचा था मैंने कभी जीवन में
आएगा कोई तुफां ऐसा मेरे जीवन में
टूट कर बिखर गया मैं ऐसा, जैसे
टूटकर बिखर गया हो पुष्प चमन में ।
जोड़े हाथ करी विनती मैंने मन में
कर दो कोई चमत्कार इस त्रिभुवन में
पुण्य मेरे सदकर्मों का दे दो भगवन
बना रहे विश्वास भगवन मेरे मन में ।
टूट गई डोरी आया दौर कैसा जीवन में
जपता रहा माला और कितना मैल मन में
समझ आया कितना पापी हूँ मैं मेरे भगवन
दिखाना नहीं ऐसा वक्त किसी को जीवन में ।
कितना जरूरी होता है माँ का अस्तित्व जीवन में
माँ सा नहीं होता कोई शुभ चिंतक जीवन में
माँ बिन घर घर नहीं लगता है मेरे भगवन
मधुमास सी थी पतझड़ जब माँ थी जीवन में ।
✍️ अनिल शर्मा नील
निचली भटेड़, बिलासपुर
हि. प्र. - 174004
मो. नं. - 9817069935
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