संस्कारों और संस्कृति के लिए विश्व विख्यात देवभूमि हिमाचल दिनों-दिन नैतिक पतन की गिरफ्त में आ रहा है। हिमाचली अपने देवी देवताओं पर अथाह विश्वास, श्रद्धा और आस्था रखता है तथा अपने देवी - देवता के कुपित होने के भय से वह सामाजिक बुराईयों और कुरीतियों से दूर रहता था।
लेकिन समय बदला, समय के साथ साथ सोच बदली। आज यहाँ हर व्यक्ति स्वार्थ, लालच और दिखावे की भावना से ग्रसित है। हो सकता है इसमें कोई अपवाद भी हो। लेकिन हिमाचली संवेदन - शुन्य होते जा रहे हैं । तहज़ीब और अदब जैसे शब्द अब उनके शब्दकोष में नहीं रहे। न उन्हें समाज का डर रहा , न भगवान का भय और न ही अपने देवी - देवताओं के कोपभाजन का त्रास।
ट्वेंटी - ट्वेंटी के प्रथम माह यानी जनवरी के आखिरी सप्ताह की बात है। दो वारदातें ऐसी हुई जिन्होंने आमजन को झकझोर के रख दिया। पहली घटना चम्बा जिला की है। चम्बा शहर की नजदीकी पंचायत के एक गांव में जमीनी विवाद को लेकर ऐसा वाकया पेश आया जिसने हड़कंप मचा दिया। विवाद होते हैं और कहीं भी हो सकते हैं। पर हद बेहद की बात यह है कि ग्रामीण को पीटा ही नहीं बल्कि उसका मुँह काला किया गया, उसके गले में जूतों की माला ड़ाली गई और पूरे गांव में घुमाया गया। वीडियो भी बनाई गई पर उसकी मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आया। न तो रोका गया और न ही छुडवाया गया। क्या यही वह समाज है जिसकी हम परिकल्पना करते हैं और मिलजुल कर रहने की बात करते हैं ?
दूसरी घटना है मण्डी जिला की, औट थाना के अन्तर्गत पनारसा गांव में सास और पति ने मिलकर घर की बहू को शादी की पहली सालगिरह वाले दिन हाथ - पैर बांध कर और मुंह पर टेप लगाकर पूरी रात इतनी निर्मम पिटाई की कि उसके शरीर पर गहरे जख्म और नीले निशान पड़ गए। यह मामला बहुत ही चिंता का विषय है। ऐसे में कौन माँ - बाप हैं जो बेटी ( लक्ष्मी ) - धन के बारे में सोचेगा? किसी की बेटी, किसी की बहू होगी। किसी भी समस्या का समाधान डंडा नहीं है। इतनी बेरहमी से तो पशुओं की भी पिटाई नहीं की जातीॅ है। अगर कोई बात है तो उसे समाज, माँ - बाप और रिस्तेदारों की मध्यस्थता से सुलझाया जा सकता है। यदि फिर भी बात न बने तो न्यायालय है, महिला आयोग है। सबसे अहम बात यह है कि सरकार के "बेेेटी बचाओ बेटी पढाओ" के नारे का क्या होगा ?
इनके इलावा नशाखोरी, रिश्वतखोरी, रेप, अपहरण एवं हत्या जैसी कई बुराईयाँ और कुरीतियाँ हैं जिनकी वजह से देवभूमि हिमाचल के भाल पर कलंक का काला टीका लगा हुआ है । चाहे गुड़िया मामला हो या फिर युग या फिर कांगड़ा के गंडीरी गांव के चचेरे भाईयों रमन (11 वर्षीय) एवं अभिषेक (17 वर्षीय) का , रोंगटे खड़े करने वाली वारदातें हैं। चिट्टा और अन्य नशीले पदार्थों की बढती प्रवृति ने युवा वर्ग को पूर्णतया अपनी गिरफ्त में ले लिया है। ऐसी जैसी घटनाओं ने हिमाचली परिवेश को बदनाम कर दिया है। इनसे यहाँ का सामाजिक एवं नैतिक पतन का ग्राफ बढता जा रहा है, यह एक चिंतनीय विषय है।
✍️ अनिल शर्मा नील
निचली भटेड़, बिलासपुर
हि. प्र. - 174004
मो. नं. - 9817069935
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