काल के ललाट से उड़ता चला जाये विषाणु।
त्राहिमाम त्राहिमाम लगी फैल रहा रोगाणु।।
तांडव हो रहा कैसा तूने महाप्रलय फैलाया।
अस्तित्व भूला प्राणी तूने ये कहर बरपाया।।
देख लाशों का ढेर जाग पड़ी मरी संवेदना।
विभु व्यापक रक्षा हो कर जोड़ी हो प्रार्थना।।
शांत करो तांडव नाथ नृत्य लस्य करें निर्माण।
महाबिनाश से त्राहिमाम नहीं तो जग श्मशान।।
✍️ हीरा सिंह कौशल
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