Sunday, 19 April 2020

अब मेघ मत बरसाओ

किसान की नींद अब हो गई हराम
ऊपर वाले ने मचा रखा है कोहराम
फसल पक गई है सारी
कटने की हो गई तैयारी
इंद्र देव ने भी खोल दी
अपनी बारिश की पिटारी
बारिश और तूफान ने
इतना कहर बरपाया
आमों का बौर झड़ गया सारा
कटी फसल को बिखराया
पहले ही क्या मार थी कम
जो अब यह बिपदा दे मारी
हे प्रभु कुछ दिन रहम करो
फसल कटने दो सारी
यही तो मेरी पूंजी है
मेरे घरवालों की रोटी है
इसी से चूल्हा जलता है
सब जरूरतें पूरी होती हैं
बस कुछ दिन और अब सब्र करो
अब मेघ मत बरसाओ
फसल मेरी अंदर हो जाये
फिर जो तुम चाहो कर जाओ

✍️ रविंदर कुमार शर्मा
घुमारवीं, बिलासपुर, हि प्र

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