कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, यह गीत मन ही मन गुनगुनाते हुए भी हम चिंतित रहते है कि समाज में चार लोग क्या कहेंगे, आस-पड़ोस के लोग क्या सोचेंगे। सर्वव्यापी चार लोगों के चक्कर में सारी दुनिया जद्दोजहद कर रही हैं। असफलता में हमारी खामियां ढूंढने और सफलता में हमारे गुणों का व्यख्यान करने वाले यह तथाकथित भविष्यवक्ता ही इन चारों लोगों में एक है। यह हर छोटी-बड़ी घटना के बाद सिर्फ इतना कहते हैं कि हमें तो पहले से ही मालूम था। वास्तव में हम आत्म प्रेरणा से कभी कार्य नहीं करते क्योंकि हम लकीर के फकीर है। सोच-विचार, तर्क-वितर्क, नीति और शास्त्र सब पीछे छूट जाते हैं, क्योकि चारों लोगों की चौकड़ी में एक हम भी तो हैं। समाजिक नशे का भूत अक्सर एक ही प्रश्न पूछता हैं कि लोग क्या कहेंगे और क्या सोचेंगे?
आपके परिवारजनों, रिश्तेदारों, दोस्तों, सहकर्मियों ने आजीवन एक बात जरूर कहीं होगी कि "सुनो सबकी करो अपने मन की" लेकिन ठीक इसके उलट सभी ने अपना आचरण दिखाया होगा। क्योंकि यह महानुभाव भी चार में से एक है। असमंजस में रहना मनुष्य का स्वभाव बन चुका है, हमारी सोच और विचार पल-पल बदलते रहते हैं। चाय में अगर मक्खी गिर जाए तो चाय फेंक देते हैं यदि घी में मक्खी गिर जाए तो मक्खी फेंक देते हैं। इसी प्रकार लोगों की नसीहतें भी क्षण-क्षण बदलती रहती है। आत्मविश्वास की कमी और कार्य के प्रति सत्यनिष्ठा न होने के कारण हम मरते दम तक असमंजस में रहते हैं। अत्यधिक महत्वकांक्षा, अज्ञान और मोह-माया के दुष्चक्र में हम भूल चुके हैं कि मनुष्य इस संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।
✍ हितेन्द्र शर्मा
कुमारसैन, शिमला।
शानदार 🎊 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 बधाई एवं शुभकामनाएं जी 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
ReplyDeleteThanks Sir 🙏
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